चक्रवाती तूफान अम्फान (Cyclone Amphan)
चक्रवाती तूफान अम्फान (Cyclone Amphan)
देश अभी भीषण और खतरनाक महामारी कोरोना से जूझ ही रहा है की,
एक और मुसीबत दहलीज़ पर आई है। अभी कोरोना का ही कोई इलाज नहीं मिल सका उसपर ये
कुदरती कहर बरपा है देश पर. दिल्ली में मौसम विभाग के डाइरेक्टर जनरल मृतुंजय महापात्रा
के अनुसार “अम्फान अगले 12 घंटों में अपने असली रूप में आ जायगा,
अभी उत्तर-उत्तर पूर्व दिशा में गति करेगा 20
तारीख की दोपहर या शाम को ये दीघा/हातिया
द्वीपों को बीच से पार करेगा. इस दौरान इसकी गति 155-165km/hr और
गंभीर होने पर 185km/hr
हो सकती है. सोमवार यानि 18 मई के दिन चक्रवाती
तूफान अम्फान (Cyclone
Amphan)ने बहुत खतरनाक रूप ले लिया है,
जिसकी वजह से ओड़ीशा के तटीय इलाकों में तेज़ हवाएँ चलने लगीं और बारिश भी होने लगी।
हालात को देखते हुए इन इलाकों से लगभग 11 लाख लोगो को सुरक्षित जगहों पर ले जाने
की तैयारियां शुरू कर दी गईं है,
मौके को देखते हुए भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार 18 मई के दिन एक
उचस्तरीय बैठक की,
पल पल की गतिविधियों पर नज़र राखी जा रही है,
केंद्र और राज्य सरकारें हर हालता से लड़ने के लिए तैयारियां तेज़ कर दिन हैं.
चक्रवाती तूफान अम्फान (Cyclone Amphan) का असर कहाँ कहाँ होगा
अम्फान चक्रवाती तूफान बंगाल की
खाड़ी के ऊपर उत्पन्न हुआ है. सोमवार शाम तक अम्फान की लोकेशन पारादीप से 730
किमी दक्षिण, दीघा
से 890
किमी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम और बांग्लादेश में खेपूपारा से 1,010
किमी से दूर थी. विभाग
ने कहा कि यह उत्तर-उत्तरपूर्व की तरफ बढ़ेगा और तेजी से उत्तरपश्चिम बंगाल की
खाड़ी पहुंचेगा,
और भीषण चक्रवाती तूफान के रूप में दीघा (पश्चिम बंगाल में) और हटिया द्वीप
(बांग्लादेश में) के बीच पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटों को पार करेगा.
चक्रवाती तूफ़ान होते क्या हैं और कैसे बनते हैं
समुद्र में जब हवाएँ बहुत तेज़ी से spin
घूमने करने
लगती है,
इन्हे हम चक्रवाती तूफान कहते हैं। ये एक बड़े उष्णकटियबंधीय चक्रीय बवंडर की शक्ल
में होते हैं, चक्रवाती
तूफानों के पैदा होने में कोरियोलिस इफेक्ट का बहुत बड़ा हाथ होता है. कोरियोलिस
इफेक्ट का संबंध होता है,
जिसपर पृथ्वी अपने केंद्र में घूमती रहती है,
समुद्र में भूमध्य रेखा के पास जहां का तापमान अक्सर 26 डिग्री सेल्सियस या उस से
कुछ ज़्यादा होता है. उसी जगह को समझा जाता है की चक्रवात वहीं पर उत्पन्न होते हैं।
फिर जब वो इन समुद्रों के सतहों के ऊपर बहने वाली हवाएँ सूर्य की किरणों से मिलतीं
हैं,
तो गरम हो जातीं हैं. जिसकी वजह से वो बहुत तेज़ी से ऊपर की ओर उठतीं हैं,
और अपने पीछे छोड़ जातीं हैं,
एक कम दबाव का क्षेत्र और वह एक खाली स्थान निर्मित हो जाता है,
जिसको भरने के लिए वह मौजूद ठंडी हवाएँ तेज़ी से उस खाली स्थान की तरफ आतीं हैं. और
पृथ्वी अपनी धुरी पर उसी रफ्तार से घूमती रहती है, जिसकी वजह से हवा
की दिशा पहले अंदर की तरफ मूड जाती हैं फिर हवा टीजी से घूमती हुई ऊपर की ओर उठने लगती
है. हवा की गति बहुत तेज़ होने की वजह से गोल घेरे में घूमने लगती है जो की 2000 कि.मी.
या उससे ज़्यादा अधिक इलाके में हो सकती है,
और जब वो तटीय इलाकों से टकराती है तो वहाँ भीषण तबाही मचाती हुई आगे चली जाती है.
हरीकेन (Hurricane ) या टाइफुन (Typhoon) किसे कहते हैं
पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में
इन्हे हरीकेन (Hurricane
) या टाइफुन (Typhoon) कहते
हैं इनकी एक पहचान ये है की,
ये घड़ी की सुई के घूमने की दिशा के विपरीत दिशा में घूमते हैं और वैसे ही आगे बढ़ते
हैं वैसे ही.
साइक्लोन (Cyclone) किसे कहते हैं
पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्ध में
इन्हे साइक्लोन
(Cyclone)
कहा जाता है इनको पहचानने की,
भी एक विधि है अगर ये घड़ी की सुई के घूमने की दिशा में घूमने लगें और उसी दिशा में
आगे बढ़े तब इन्हे साइक्लोन
(Cyclone)
समझा जाता है.
चक्रवाती तूफानो का नाम कैसे रखा जाता है
अगर किसी चक्रवाती तूफान कि गति 34
नोटिकल मिल प्रति घंटे से ज़्यादा है,
तो उस तूफान कोई नाम देना ज़रूरी हो जाता है। किसी तूफान का नाम रखना एक पूरी प्रक्रिया
है और ये एक समझौते के तहत रखा जाता है. जैसे अगर उत्तर हिन्द महासागर में कोई तूफान
हो जिसकी गति 34 नोटिकल प्रति घंटे से अधिक हो, तो उसका नाम भारतीय
मौसम विभाग रखता है. चक्रवाती तूफानों का नाम रखने कि शुरुवात 1953 में अटलांटिक
क्षेत्र में एक संधि के साथ हुई,
मियामी में स्थित राष्ट्रीय हरिकेन सेंटर में
इसकी शुरुवात 1953 में हुई थी,
जिनसे अटलांटिक क्षेत्र में उठने वाले तूफानो का नाम रखा था। सन 1953 तक ऑस्ट्रेलिया
में इन तूफानो का नाम वहाँ के भ्रष्ट नेताओं और राजनतिज्ञों के नाम पर रखा जाता था।
और वहीं अमेरिका में इन तूफानों का नाम महिलाओ के नाम पर रखा जाता था,
जैसे कैटरीना वगैरह फिर 1979 के बाद से ई तूफानों का नाम महिला एवं पुरुष दोनों के
नाम से रखा जाने लगा,
वहीं उत्तर-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में इन तूफानो के नाम अक्सर फूलों, जानवरों, पक्षियों, पेड़ों, खाद्य
पदार्थों के नाम पर रखे गए हैं.
जो
देश 8 देश हिंद महासागर के क्षेत्र में आते हैं जैसे भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान
और थाईलैंड ये देश किसी तूफान का कोई नाम नहीं देते थे,
इसकी पहल भारत ने 2004 में कि.
चक्रवाती तूफानो को नाम क्यों दिया
जाता है
जब किसी जगह ऐसे तूफ़ान के आने कि आशंका
होती है,
तो उसका कोई न कोई नाम दे दिया जाता है,
ताकि सामान्य जनता तक और उस तूफ़ान से ग्रसित होंने वाले संभावित देशों तक इसकी चेतावनी
दी जा सके। जिससे वो लोग अपनी तैयारी शुरू
कर सकें,
इस तरह के तूफानो से बचने के लिए और वो अपने आपदा प्रबंधन में जुट जाएँ,
जिससे जान और माल कि कोई हानी न पहुँच सके.
अगर आपको इस विषय में कोई और जानकारी है जो किसी की मदद कर सकती है तो कृपया Comment ज़रूर करें....
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