नहीं रहे डॉ. राहत इंदौरी
शायरी को एक अलग मुकाम और शेरों को अलग ढंग से बयान करने का
जो हुनर था राहत इंदौरी का वो किसी में नहीं देखने को मिलता वही शायरी जिसको कभी उन्होने
ज़रा संवारा कभी शायरी ने उन्हे संवारा आज वो अज़ीम शायर इस दुनियाँ को अलविदा कह चला
हम खुशनसीब हैं की हम उस दौर में ज़िंदा हैं जिस दौर में ऐसा महान शायर हुआ आज शायरी
हज़ार आँसू रो रही होगी अपने उस शायर के लिए
राहत इंदौरी की ज़िंदगी
1 जनवरी सन 1950 के दिन मध्यप्रदेश के शहर इंदौर
में एक कपड़ा मजदूर के घर जन्म हुआ राहत इंदौरी का उनके पिता का नाम रफ्तुल्लाह कुरैशी और माता
का नाम मकबूल
उन निशा बेगम था राहत साहब के और चार भाई बहन भी थे उन्होने अपनी पढ़ाई की
शुरुवात नूतन स्कूल इंदौर से की फिर आगे की पढ़ाई इंदौर में इस्लामिया करीमिया
कॉलेज इंदौर से की फिर बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय से सन 1975 में उर्दू साहित्य
में MA किया फिर PHD 1985 में मध्य प्रदेश के मध्य प्रदेश
भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में किया
राहत इंदौरी की शौरुवाती ज़िंदगी बहुत ज़्यादा तंग हाली में गुज़री उन्हे काफी
परेशानियों का सामना करना पड़ा जब वो 10 साल की उम्र के थे उन्होने सड़कों पर साइन चित्रकार
के तौर पर भी काम किया उन्होने चित्रकारी के क्षेत्र में काफि नाम कमा लिया था उन्होने
जिन दुकानों के साइन बोर्ड बनाए थे उनमें से आज भी भी कई सारे वैसे के वैसे आज भी हैं
राहत इंदौरी और शायरी
राहत इंदौरी लगभग 40 से 50 साल तक मुशायरों की शान रहे मुशायरों
और कवि सम्मेलनों में उन्हे देश विदेश से बुलाया जाता था भारत के तो लगभगऔर कई बार अमरीका, ब्रिटेन, कनाडा, सिंगापुर, मॉरीशस, केएसए, कुवैत, बहरीन, ओमान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल आदि से भी यात्रा की है।
राहत इंदौरी और Bollywood
राहत इंदौरी ना सिर्फ मुशायरों की शान रहे बल्कि उन्होने कई
हिट फ़िल्मी गाने भी लिखे उन्होने मुन्ना भाई एमबीबीएस, मीनाक्षी, खुद्दार, नाराज, मर्डर, मिशन कश्मीर, करीब, बेगम जान, घातक, इश्क, जानम, सर, आशियां और मैं तेरा
आशिक जैसी फिल्मों में गीत लिखे।जो की बहुत मशहूर हुए।
राहत और कोरोना वारियर
इंदौर में जब कोरोना के टेस्ट के दौरान मेडिकल टीम पर हमला हुआ
था तो राहत साहब ने कड़े शब्दों में इस घटना की निंदा की थी और कहा था की ज्यादा अफसोस मुझे
इसलिए हो रहा है कि रानीपुरा मेरा अजीज मोहल्ला है। ‘अलिफ’ से ‘ये’ तक मैंने वहीं सीखा है।
उस्ताद के साथ मेरी बैठकें वहीं हुईं। मैं बुज़ुर्गों ही नहीं, बच्चों के आगे भी दामन
फैलाकर भीख मांग रहा हूं कि दुनिया पर रहम करें। डॉक्टरों का सहयोग करें। इस
आसमानी बला को हिंद-मुस्लिम फसाद का नाम न दें। इंसानी बिरादरी खत्म हो जाएगी।
जिंदगी अल्लाह की दी हुई सबसे कीमती नेमत है। इस तरह कुल्लियों में, गालियों में, मवालियों की तरह इसे
गुजारेंगे तो तारीख और खासकर इंदौर की तारीख, जहां
सिर्फ मोहब्बतों की फसलें उपजी हैं, वह
तुम्हें कभी माफ नहीं करेगी।’
राहत इंदौरी का निधन
राहत इंदौरी का निधन 70 साल की उम्र में 11 अगस्त 2020 के दिन अरबिंदो हॉस्पिटल इंदौर में हो गया. 11 अगस्त की सुबह सुबह उन्होने Facebook और Twitter के माध्यम से अपने प्रसंशकों को ये जानकरी दिन थी की उनमें कोरोना के कुछ लक्षण दिखाई दे रहे हैं जिसकी वजह से वो अरबिंदो हॉस्पिटल मे एड्मिट हुए हैं शाम होते होते ये खबर आई की उन्हे दिल का दौरा पड़ा और उनका इंतेकाल हो गया है इस खबर से शायरी और उर्दू के चाहने वालों के चेहरे उतर गए।
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