इबोला (Ebola Virus)
अभी दुनियाँ कोरोना covid-19 जैसी खतरनाक महामारी से जूझ ही रही थी की, वहीं इबोला (Ebola) ने भी दक्षिण अफ्रीकी देश कांगो में दस्तक दे दी है। सन 2018 के बाद दुबारा इबोला (Ebola Virus) ने कांगो में अपने पैर पसारे हैं. कांगो के एक मबंडाका शहर में चिकित्सा अधिकारियों को 6 मरीज ऐसे मिले जिनमे इबोला के लक्षण दिखाई दिये, इनमे से 4 की मौत की पुष्टि भी की गई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने भी कांगो के मबंडाका शहर में इबोला वाइरस (Ebola Virus) के संक्रमण की पुष्टि की है, WHO के महानिदेशक टेड्रोस ने कहा है की, कांगो के
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इबोला वायरस के मामलों की जानकारी दी है। ये एक अजीब सी बात
है की, जहां इबोला के मामले नज़र आ रहे हैं वहाँ कोरोना का कोई
भी मामला नहीं सामने आया. उन्होने कहा की, कोरोना और इबोला का
आपस में कोई संबंध नहीं है, हालांकि कांगो में कोरोना के लगभग
3000 मामले देखने को मिले है।
क्या है ये इबोला वाइरस (What is Ebola Virus)
इबोला आमतौर पर अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षा वनो वाले इलाके
की एक क्षेत्रीय बीमारी है, मगर अब ये दुनियाँ के दूसरे देशों में भी फैलती
है और इसका खतरा बना रहता है,अगर कोई व्यक्ति इससे संक्रमित हो
तो वो दूसरों के लिए खतरनाक साबित हो जाता है. ये बीमारी संक्रमित व्यक्ति के शरीर
से निकालने वाले तरल पदार्थों से दूसरे व्यक्ति तक फैलती है।
क्या है इबोला वाइरस के लक्षण (Symptoms of Ebola Virus)
इसके लक्षणों में शुरू में अचानक बुखार, कमजोरी, मांसपेशियों
में दर्द और गले में खराश होती है। इसके बाद उल्टी होना,
डायरिया और कुछ मामलों में अंदरूनी और बाहरी रक्तस्राव होता है। अधिक
रक्तस्राव से मौत होने का खतरा रहता है। मनुष्यों में इसका संक्रमण संक्रमित
जानवरों, जैसे
चिंपैंजी, चमगादड़
और हिरण आदि के सीधे संपर्क में आने से होता है.
क्या है इबोला का इतिहास (History of Ebola Virus)
ऐसा माना जाता है की, ये महामारी अफ्रीका के गिनी के ग्युक्केदो गाँव
से फैली थी. इस गाँव में दिसम्बर 2013 में एक बच्चे में इसके लक्षण देखे गए।
और उसकी मौत इसकी वजह से हो गई थी, इस बीमारी से इस बच्चे की
पहलीमौत की पुष्टि हुई थी। इसलिए इस बच्चे को Child Zero कहा
गया इस वाइरस का नाम इस इलाके की एक नदी इबोला पर रखा गया क्योंकि, इसका पहला मामला यही प्रकाश में आया था.
ये वाइरस
70 के दशक से समय समय पर सामने आता रहा है, इस का मुख्य कारण है अफ्रीका के लोगों का रहन
सहन और उनके खाने पीने के तरीके से अफ्रीका में अकसर हिरण, चिंपांजी, चमगादड़, चूहे, सांप जैसे जंगली
जानवरों के मांस से व्यंजन बनाए जाते हैं. और बहुत बड़े पैमाने पर इनको खाया जाता है, जानवरों में कई किस्म के वाइरस होते हैं ये वाइरस भी इन्ही जानवरों से मनुष्य
में प्रवेश करता है. कहा जाता है की, Child Zero का परिवार भी चमगादड़ों का शिकार किया करता था। और उनको खाया करता था हो सकता
है ये वाइरस भी उसी वजह से उसके अंदर आ गया हो. और उसकी मौत का कारण बना हो। अफ्रीका में मृत्यु के
रस्म-रिवाजों यानी शव को नहलाने, स्पर्श
करने और चूमने की प्रथा से भी इबोला फैलता है.
इबोला वाइरस की वैक्सीन (Vaccine of Ebola Virus)
अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने 19 दिसंबर, 2019 को
इबोला वैक्सीन rVSV-ZEBOV
(ट्रेडेनम "एर्वीबो") को मंजूरी दे दी थी। rVSV-ZEBOV
वैक्सीन है, जिसको सुरक्षित और सुरक्षात्मक पाया गया है, इबोला वाइरस के खिलाफ। यह इबोला के लिए टीके की पहली एफडीए मंजूरी है।
2019 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में इबोला के प्रकोप से निपटने के
लिए एक अन्य जांचत्मक टीके को एक अनुसंधान प्रोटोकॉल के तहत विकसित और पेश किया
गया था। यह टीका दो अलग-अलग वैक्सीन घटकों (Ad26.ZEBOV
और MVA-BN-Filo) का
लाभ उठाता है और 56 दिनों के बाद एक दूसरी "बूस्टर" खुराक के बाद
प्रारंभिक खुराक के साथ दो खुराक की आवश्यकता होती है। दूसरी वैक्सीन भी इबोला की
केवल जायरा एबोलावायरस प्रजातियों से बचाने के लिए बनाई गई है।
इबोला से जुड़ी हुई अगर आपके पास कोई और जानकारी है तो कृपया Comment करें.
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